• Last Modified: शुक्रवार 19 अप्रैल 2024.

श्री हितेश खन्ना

निदेशक कार्य

इनका जन्म 07.10.1959 को हुआ और इन्होंने वर्ष 1981 में दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से बी.एससी (सिविल इंजीनियरिंग) में ऑनर्स की डिग्री प्राप्त की और ये 1981 बैच के भारतीय रेल इंजीनियर सेवा (आईआरएसई) के अधिकारी हैं। वर्ष 1983 में भारतीय रेल में कार्यभार ग्रहण करने से पूर्व इन्होंने 2 वर्ष के लिए इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड में भी कार्य किया था।
अपने 32 वर्ष लंबे कार्यकाल के दौरान इन्होंने 20 वर्ष के लिए भारतीय रेल में विभिन्न पदों पर कार्य किया। इस अवधि के दौरान वर्ष 1995 में इन्होंने ट्रांसमार्क, डर्बी, यू.के. में `रेल पथ मशीनों का अनुरक्षण तथा ओवरहॉलिंग` विषय पर प्रशिक्षण प्राप्त किया है और संगोष्ठियों में अनेक तकनीकी लेख प्रस्तुत किए हैं।  इन्हें महाप्रबंधक पुरस्कार (अप्रैल, 1997 में) तथा के.सी. सूद मेमोरियल पदक (जनवरी, 1999) प्राप्त हैं।  इनकी विशेषज्ञता के क्षेत्रों में आधुनिक रेल पथ प्रौद्योगिकी सहित रेल पथ अनुरक्षण, नवीकरण तथा निर्माण के क्षेत्र शमिल हैं।
इन्होंने मार्च, 2003 में इरकॉन में महाप्रबंधक के पद पर प्रतिनियुक्ति आधार पर अपना कार्यभार ग्रहण किया और इन्हें नवम्बर, 2007 तक मलेशिया में महाप्रबंधक/आभिकल्प का कार्यभार सौंपा गया, जहां उन्होंने मलेशिया में एक बिलियन अमरीकी डॉलर मूल्य के सबसे बड़ी रेलपथ परियोजना को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी। इन्होंने फरवरी, 2007 में इरकॉन में आमेलन प्राप्त किया और नवम्बर, 2007 में इन्हें कार्यपालक निदेशक/कार्य के पद पर पदोन्नत किया गया।  कार्यपालक निदेशक/जम्मू और कश्मीर के अपने कार्यकाल के दौरान कश्मीर घाटी में 2600 करोड़ रुपए की काजीगुंड-बारामुला रेल संपर्क परियोजना आरंभ की गई। कार्यपालक निदेशक/निर्माण (17.05.2010 से 06.03.2011 तक) के रूप में इनका उत्तरदयित्व मलेशिया में इरकॉन की दोहरी रेलपथ परियोजना तथा गंगा नदी के ऊपर प्रमुख रेल-सह-सड़क पुल, सड़क निर्माण कार्य, तथा बिहार राज्य में सड़क ऊपरी पुल सहित भारत के पश्चिमी तथा पूर्वी क्षेत्र में सिविल कार्यों की निगरानी की थी।
इन्होंने 07.03.2011 को निदेशक (निर्माण) के पर कार्यभार ग्रहण किया। इनके मार्गदर्शन में एसजीईडीटी परियोजना के चरण-। का कार्य अप्रैल 2011 में आरंभ किया गया था और भारत की सबसे बड़ी पारवहन सुरंग टी-80 सहित काजीगुंड-बेनिहाल खंड का प्रचालन जून, 2013 में आरंभ किया गया है। 

-